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बचपन की यादें ताजा हो गई मजेदार कॉमिक बुक
पिछले दिनों एक पार्सल घर आया और उसने मिली मुझे ये दो कॉमिक्स चाचा चौधरी की हां ये वही चाचा चौधरी है जिनका दिमाग़ कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है। दोनो ही कॉमिक बुक को अगले दिन उठाया और कुछ ही घंटों में पढ़कर खत्म कर दिया लगा जैसे बचपन के दिनों में कुछ दिनों की छुट्टियां बिताकर लौट आया हूं और सच बताऊं तो इस बार भी बिल्कुल वैसा ही मन हो चला था जैसा बचपन में होता था की ये छुट्टियां बस चलती जाए और कभी खत्म न हो। चाचा चौधरी और साबू की कॉमिक्स को ज़िंदगी देने वाले स्वर्गीय प्राण सर ने इतना गज़ब गढ़ा है की आज इतने सालो बाद ये अपने आप में एक ब्रांड बन गया है ऑफिशियल तौर पर भी। मुझे राका वाली कॉमिक बुक ज्यादा पसंद आई क्युकी उसमे एक पूरी कहानी चल रही थी शुरू से अंत तक। पेपर क्वालिटी और प्रिंटिंग भी अच्छी लगी मुझे राका वाली कॉमिक्स में नॉर्मल पेपर का इस्तेमाल किया गया है जो अच्छा लगता है। स्टोरी अच्छी है और राका की पूरी सीरीज है जिसमे अलग अलग कहानियां है इसमें उसी सीरीज की एक कहानी को बताया गया है। मेरे लिए कॉमिक बुक, फ़िल्म ये सब पहले प्यार को तरह है जिसको चाहें जितने सालों बाद भी देखूं मन अटक सा जाता है उसी एक पल में.....आप भी अगर चाचा चौधरी और साबू के फैन है आप भी इन कॉमिक्स को ऑर्डर कर सकते है ये सभी जगह आपको मिल जाएगी अमेजन आदि वेबसाईट पर और आप चाहे तो chacha chaudhary official website से भी खरीद सकते हैं। उम्मीद है जल्द ही कुछ और कॉमिक्स मंगवाऊंगा और उनका अनुभव भी आपके साथ साझा करूंगा।- साहित्ययात्री(२५/०३/२०२४)Instagram: sahitya_yatri
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